• ललित सुरजन की कलम से- तपती धूप में सड़क का सफर

    'हरदा जाते समय हमने सोचा कि फोरलेन छोड़कर बैतूल के पहले बैतूलबाजार में निर्मित बालाजीपुरम में रुककर चाय पी लेंगे

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

    'हरदा जाते समय हमने सोचा कि फोरलेन छोड़कर बैतूल के पहले बैतूलबाजार में निर्मित बालाजीपुरम में रुककर चाय पी लेंगे। एनआरआई उद्योगपति सैम वर्मा ने लगभग चालीस साल पहले बालाजी का एक छोटा सा मंदिर बनवाया था। अभी उसका भव्य रूप देखकर आश्चर्य हुआ। वहां तो सड़क के दोनों किनारे बाकायदा एक बाजार सज गया है। अतिथिशाला और बैंक की शाखाएं भी हैं।

    एक जगह सूचनापटल था- देश का पांचवा धाम। धर्मप्राण जनता को इसी सब में मानसिक शांति और संतोष मिलता है। लौटते समय हम इसी तरह राजमार्ग छोड़ ताप्ती नदी का उद्गम देखने मुलताई नगर में घुसे। मैंने लगभग पच्चीस वर्ष बाद ही ताप्ती कुंड के दर्शन किए। ध्यान आया कि पहले सड़क किनारे दूकानें थीं, जिनकी ओट में कुंड छुप जाता था, लेकिन वे शायद हटा दी गई हैं? छुटपुट ठेले, गुमटियां अवश्य थीं।

    ताप्ती कुंड में इस गर्मी में भी भरपूर पानी था, जिसे देखकर नेत्र और मन दोनों तृप्त हुए। स्मरणीय है कि मध्यप्रदेश की दो प्रमुख नदियों नर्मदा और ताप्ती पूर्व से पश्चिम की ओर बहते हुए गुजरात में अरब सागर में विलीन होती हैं। जबकि देश की अन्य प्रमुख नदियां पूर्व की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में विलीन होती हैं। ताप्ती कुंड का जल स्वच्छ था, उसमें बतखें तैर रही थीं, नौका विहार भी चल रहा था, कुल मिलाकर एक आह्लादकारी दृश्य था।'

    (देशबंधु में 20 जून 2019 को प्रकाशित)
    https://lalitsurjan.blogspot.com/2019/06/blog-post_20.html

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

बड़ी ख़बरें

अपनी राय दें